Saturday, January 23, 2010

  विखरी विखरी सी जुल्फे

विखरी विखरी सी जुल्फे है क्यों खोई खोई सी आखे है क्यों
गम का ये पल गुजर जायेगा फिर कोई हमसफ़र आएगा

विखरी विखरी सी जुल्फे है क्यों खोई खोई सी आखे है क्यों
गम का ये पल गुजर जायेगा फिर कोई हमसफ़र आएगा

बीते पल भूलजा वो पल नहीं है  कही  लायेंगे पल नए  एक जिंदगी फिर हसी
ये भीगी पलके उठा ये सोच के तू मुस्कुरा लायेंगे  फिर कोई जमाना ऐसा यहाँ
फिर चलेगी हमारा मन चले फिर से मेहेकेगी कोई कलि
फिर कोई हमसफ़र आएगा  दिल कोई गीत  फिर गायेगा

रात लम्बी ही सही फिर भी तो एक रात है  सुबह हो  जाएगी सो बातो की बात है
फिर जागेगी ये फिजा  फिर दिल का  एक रास्ता
ले जाएगी वही तुझे तेरी मंजिल ऐ जहा

सच तो येई है की होना है यु  तो इन अखो में आसू है क्यों
गम न कर तू  मुरझा गए  फूल खिल जायेंगे  अब नए


 विखरी विखरी सी जुल्फे है क्यों खोई खोई सी आखे है क्यों
गम का ये पल गुजर जायेगा फिर कोई हमसफ़र आएगा
- अनिल चापागाई 
Song of What's your Rashi?

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