विखरी विखरी सी जुल्फे है क्यों खोई खोई सी आखे है क्यों
गम का ये पल गुजर जायेगा फिर कोई हमसफ़र आएगा
विखरी विखरी सी जुल्फे है क्यों खोई खोई सी आखे है क्यों
गम का ये पल गुजर जायेगा फिर कोई हमसफ़र आएगा
बीते पल भूलजा वो पल नहीं है कही लायेंगे पल नए एक जिंदगी फिर हसी
ये भीगी पलके उठा ये सोच के तू मुस्कुरा लायेंगे फिर कोई जमाना ऐसा यहाँ
फिर चलेगी हमारा मन चले फिर से मेहेकेगी कोई कलि
फिर कोई हमसफ़र आएगा दिल कोई गीत फिर गायेगा
रात लम्बी ही सही फिर भी तो एक रात है सुबह हो जाएगी सो बातो की बात है
फिर जागेगी ये फिजा फिर दिल का एक रास्ता
ले जाएगी वही तुझे तेरी मंजिल ऐ जहा
सच तो येई है की होना है यु तो इन अखो में आसू है क्यों
गम न कर तू मुरझा गए फूल खिल जायेंगे अब नए
फिर जागेगी ये फिजा फिर दिल का एक रास्ता
ले जाएगी वही तुझे तेरी मंजिल ऐ जहा
सच तो येई है की होना है यु तो इन अखो में आसू है क्यों
गम न कर तू मुरझा गए फूल खिल जायेंगे अब नए
विखरी विखरी सी जुल्फे है क्यों खोई खोई सी आखे है क्यों
गम का ये पल गुजर जायेगा फिर कोई हमसफ़र आएगा
- अनिल चापागाई
Song of What's your Rashi?
No comments:
Post a Comment