Wednesday, January 27, 2010

महोब्बत आपसे

दिन चढ़े मुझ से पूछी नजर कौन था सपने में रात वर
आप का ही था आसार और आप ही थे  हो हमसफ़र
मोहब्बत आप से आप से  फकिदत आप से

सरबते नजरो में आप है मखमली पलकों के पास है
आप तो अहेसास है  खूब है और खास है
मोहब्बत आप से आप से फकिदत आपसे आपसे

कही ना कही ये दिल जब आता है आहा
घडी दो घडी  दिल को तब   समझाता है ओहो
दिलो का दिलो से भी कुछ नाता है
ये दिल दोहोरता है  फकिदत आपसे
मोहब्बत आपसे आपसे  फकिदत आपसे आपसे 
मोहब्बत आपसे आपसे

दिल रुवा कहेता है आप को  दिल खुदा कहेता है आपको
हर दफा  कहेता है आप को  कहेता वाफा   आप को  है आपको
मोहब्बत आपसे आपसे  फकिदत आपसे
महोब्बत आपसे  आपसे

-अनिल चापागाई

Saturday, January 23, 2010

  विखरी विखरी सी जुल्फे

विखरी विखरी सी जुल्फे है क्यों खोई खोई सी आखे है क्यों
गम का ये पल गुजर जायेगा फिर कोई हमसफ़र आएगा

विखरी विखरी सी जुल्फे है क्यों खोई खोई सी आखे है क्यों
गम का ये पल गुजर जायेगा फिर कोई हमसफ़र आएगा

बीते पल भूलजा वो पल नहीं है  कही  लायेंगे पल नए  एक जिंदगी फिर हसी
ये भीगी पलके उठा ये सोच के तू मुस्कुरा लायेंगे  फिर कोई जमाना ऐसा यहाँ
फिर चलेगी हमारा मन चले फिर से मेहेकेगी कोई कलि
फिर कोई हमसफ़र आएगा  दिल कोई गीत  फिर गायेगा

रात लम्बी ही सही फिर भी तो एक रात है  सुबह हो  जाएगी सो बातो की बात है
फिर जागेगी ये फिजा  फिर दिल का  एक रास्ता
ले जाएगी वही तुझे तेरी मंजिल ऐ जहा

सच तो येई है की होना है यु  तो इन अखो में आसू है क्यों
गम न कर तू  मुरझा गए  फूल खिल जायेंगे  अब नए


 विखरी विखरी सी जुल्फे है क्यों खोई खोई सी आखे है क्यों
गम का ये पल गुजर जायेगा फिर कोई हमसफ़र आएगा
- अनिल चापागाई 
Song of What's your Rashi?